भगवान श्री कुबेर जी की आरती | Bhagwan Shri Kuber Ji Aarti In Hindi PDF Download Link Is Given At The Bottom Of This Article.
Kuber Ji Ki Aarti | कुबेर जी की आरती PDF Free Download
कुबेर, हे भाग्य के देवता: आधुनिक समय में, लोग विभिन्न प्रकार के सुखों को तरसते हैं। क्योंकि इन सुखों का सीधा संबंध धन से है, मनुष्य धन कमाने के लिए प्रतिस्पर्धा करता है। कुछ लोग अपनी मेहनत और लगन से पैसा कमाते हैं, जबकि कुछ अन्य माध्यमों से (अर्थात गलत साधनों की मदद से) पैसा कमाते हैं।
धन कुबेर साधना: पुरुष धन वृद्धि के लिए कुबेर साधना करता है, और कुछ विद्वानों का मानना है कि यह साधना केवल कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी (यानी धन तेरस) पर की जाती है। कुछ विद्वानों के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी और अमावस्या को किया जाता है, जबकि अन्य मानते हैं कि कार्तिक शुक्ल पक्ष पहले दिन गोवर्धन उत्सव के मौसम के साथ किया जाता है।
कई पुराणों में कहा गया है कि महर्षि पुलस्त्य के पुत्र महामुनि विश्रवा ने महर्षि भारद्वाज की बेटी इलविला से विवाह समारोह प्राप्त किया था, और कुबेर उनके गर्भ से पैदा हुए थे। ब्रह्मा जी ने उन्हें सभी धन के भगवान की उपाधि से नवाजा। भगवान शिव ने उन्हें उत्तर का लोकपाल बनाया, और अलकनंदा नदी उनके पूरे अलकनंदा से होकर बहती थी। प्लूटो प्लूटो का एक अलग नाम है। कुबेर विश्व के सभी खजानों पर शासन करता है। मनुष्य उनकी कृपा से पृथ्वी पर धन प्राप्त करता है। प्रत्येक यज्ञ के दौरान, इस वैश्रवण राजाधिराज को माल्यार्पण किया जाता है।
हिन्दू धर्म में कुबेर पर भगवान शंकर की विशेष कृपा है। पुष्पोलता की स्थापना रावण से, कुम्भकर्ण से विभीषण, राम से मालिनी, खर-दूषण और शूर्पणखा से हुई थी। कुबेर ने दानव मुरा की बेटी से शादी की, जिससे उनके पुत्र नल-कुबेर और मणिग्रीव पैदा हुए।
धन और समृद्धि के हिंदू देवता, कुबेर, समृद्धि और समृद्धि के देवता हैं। वराह पुराण के अनुसार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को कुबेर की पूजा की जाती है। कुबेर को प्रसन्न करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का कम से कम 10,000 बार अभ्यास करें। कुबेर, अपनी सफेद त्वचा, चमकदार शरीर, आठ दांत और तीन पैरों वाली गदा के साथ, सत्तर योजन में फैला हुआ है। वहां बगीचे, झीलें, खूबसूरत महल और अप्सराएं हैं। पेड़ के पत्तों के आकार में रत्न और फूलों की पंखुड़ियों के आकार में सुंदर अप्सराएं हैं।
आजकल अधिकांश रत्न-रत्न लुप्त हो गए हैं क्योंकि आधुनिक मनुष्य उपभोग कर चुके हैं, और यह प्रवृत्ति लुप्त हो गई है, यही कारण है कि मानवाधिकारों के अनुसार कुबेर जी। निवेश की वृद्धि (या कमी)।
कुबेर दिवाली पूजा: अब धनतेरस और दिवाली दोनों पर उनकी पूजा की जाती है। इस प्रकार, कुबेर और गोवर्धन पूजा धनतेरस (कुबेर और धन्वंतरि की) पर की जाती है, यमराज और अमावस्या की पूजा चौदहवें दिन गणेश-लक्ष्मी द्वारा की जाती है, और कुबेर और गोवर्धन पूजा प्रतिपदा को की जाती है।
श्री कुबेर आरती के बोल हिंदी में
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
हे समरथ परिपूरन, हे समरथ परिपूरन, हे अंतरयामी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
हे समरथ परिपूरन, हे समरथ परिपूरन, हे अंतरयामी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
विश्रवा के लाल इदविदा के प्यारे, माँ इदविदा के प्यारे |
कावेरी के नाथ हो, कावेरी के नाथ हो, शिवजी के दुलारे |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
मणिग्रावी मीनाक्षी देवी, नलकुबेर के तात, प्रभु नलकुबेर के तात |
देवलोक में जागृत, देवलोक में जागृत, आप ही हो साक्षात |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
रेवा नर्मदा तट शोभा अतिभारी, प्रभु शोभा अतिभारी |
करनाली में विराजत, करनाली में विराजत, भोले भंडारी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
वंध्या पुत्र रतन और निर्धन धन पाये, सब निर्धन धन पाये |
मनवांछित फल देते, मनवांछित फल देते, जो मन से ध्याये |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
सकल जगत में तुम ही, सब के सुखदाता, प्रभु सब के सुखदाता |
दास जयंत कर वंदे, दास जयंत कर वंदे, जाये बलिहारी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
हे समरथ परिपूरन, हे समरथ परिपूरन, हे अंतरयामी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
। इति श्री कुबेर आरती सम्पूर्णम।
कुबेर आरती
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे।
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से, कई-कई युद्ध लड़े ॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं, सब जय जय कार करैं॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन, धनुष टंकार करें॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं, साथ में उड़द चने॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
बल बुद्धि विद्या दाता,
हम तेरी शरण पड़े, स्वामी हम तेरी शरण पड़े,
अपने भक्त जनों के, सारे काम संवारे॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
मुकुट मणी की शोभा,
मोतियन हार गले, स्वामी मोतियन हार गले।
अगर कपूर की बाती, घी की जोत जले॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी, मनवांछित फल पावे।
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे।
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
। इति श्री कुबेर आरती सम्पूर्णम।